भारतीय उपमहाद्वीप यानि Indian Sub-continent जिसे short मे सिर्फ Sub-continent भी कहते है। हमारी दुनिया का एक नगीना है। यह जन्म भूमि है कई महान सभ्यताओं और दुनिया के कई प्रमुख मज़हबों की। यह मेल है कई सारी संस्कृतियों की। यह घर है उन महान लोगो का जिन्होंने मानवता को आगे बढ़ाने मे अपना अहम योगदान दिया। यह जगह बाकी के Asia से अलग है क्यूकी इसको Himalaya पर्वत शृंखला ने बाकी के Asia से अलग रखा है। यह पर्वत शृंखला एक physical barrier का काम करती है। Bharat और बाकी के Asia से इस लिए इस भूमि की Sub-continent कहा जाता है। पर क्या आप को पता है की आज वो भूमि का टुकड़ा जो Sub-continent कहलाता है। इतिहास मे एक वक्त ऐसा था जब वे सच मे एक continent था।
Himalaya पर्वत शृंखला जो Sub-continent को बाकी के Asia से अलग करने वाली boundary है। उसका इस कहानी से बहुत गहरा संबंध है कि आखिर क्या हुआ था ? जिससे एक महाद्वीप (continent) जो चारों ओर पानी से घिरा हुआ था। वो एक दूसरे महाद्वीप का हिस्सा बन गया। आखिर उस महासागर का क्या हुआ जो इन दोनों महाद्वीपों को अलग करती थी। नमस्कार आप का स्वागत है Endiae Genius पर। इस blog में हम जानेंगे की Indian Sub-continent कैसे बना?
हमे महाद्वीप यानि continents बिलकुल शांत से नज़र आते है जो हमेशा एक ही स्थिति मे निष्क्रिय रूप से बने रहते है। उदाहरण के लिए - हमने ऐसा कभी नही देखा है की Africa खिसक कर South America के पास पहुँच गया हो या Australia खिसकते हुए भारत के पास आ गया हो। यह बात सोचने मे ही कितनी अटपटी नजर आती है ? और यह लाज़मी भी है। क्यूकी धरती पर मानव का जन्म सिर्फ 10 लाख साल पहले ही हुआ था। इसलिए हमने उन घटनाओ को होते हुए नही देखा है।
पर इन महाद्वीपों की कहानी इन्ही के ऊपर लिखी हुई है। उस भाषा मे, जिसे हम Geology कहते है। और जब हमने इनकी इस कहानी को पढ़ा तो हमे कुछ अधभूत मालूम पड़ा। हमने जाना की यह शांत से दिखाई देने वाले महाद्वीप असल मे शांत, निष्क्रिय और अचल नही है। बल्कि ये धरती की सतह पर चलते रहते है। हमे इनका चलना महसूस नही होता है क्यूकी यह बहुत ही धीमी गति से रेंगते है; सिर्फ कुछ cm प्रति वर्ष की गति से।
आज से 22 करोड़ 50 लाख साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप या Indian sub continent एक island था Australian coast के आसपास, जिसके और Asia /Eurasia के बीच एक विशाल महासागर (Ocean) था ; जिसे geologists ‘Tethys sea’ कहते है। आज से 20 करोड़ साल पहले विशालकाय Supercontinent Pangea टुंटना शुरू हुआ। ‘भारत’ या कहे ‘Greater Indian island’ उत्तर दिशा की ओर बढ़ना शुरू हुआ। आज से 8 करोड़ साल पहले India, Asia के दक्षिणी सिरे से 6400 किलोमीटर दूर था। पर यह Asia की तरफ आगे बढ़ता ही रहा ; हर साल 9 से 16 cm की दर से। आप को सुनने मे यह रफ्तार ज्यादा नही लग रही होगी पर करोड़ो सालों तक यूं ही चलते रहने पर धीरे-धीरे India, Asia के और करीब आता गया। India और Asia के बीच मौजूद ‘Tethys sea’ का तल India के Asia की ओर बढ़ते रहने के कारण धरती के अंदर subduce होने लगा यानि की ‘Tethys sea’ का तल धरती के अंदर मौजूद magma मे डूबते गया।
‘Tethys sea’ का पूरा का पूरा तल धरती के अंदर नही डूबा, इसका ज्यादा मोटा हिस्सा जो Indian Plate के उत्तरी किनारों के पास मौजूद था, वो धरती के अंदर जाने की बजाय Indian plate के किनारे पर एक के ऊपर एक इकट्ठा होता गया - इस प्रक्रिया को accretion कहते है; जैसे आप किसी फैले हुए कपड़े को घसीट कर सिकोड़ें तो उसके हिस्से एक के ऊपर एक सिकुड़ कर किसी ढेर सा बना लेते है। वो मोटा हिस्सा धरती के अंदर जाने की बजाय Indian plate के Eurasian plate से टकराते वक्त खुरच कर टक्कर के पास वाली जगह पर इकट्ठा होता गया - accrete होता गया। यही वो ढेर है जो Himalaya पर्वत शृंखला का निर्माण करती है।
आज से करीब 5 से 4 करोड़ साल पहले से Indian plate के उत्तर की ओर बढ़ने की रफ्तार थोड़ी कम हो गई करीब 4 से 6 cm प्रति साल जितनी। इस slowdown को Eurasian और Indian continental plates के टक्कर का आरंभ माना जाता है। इस टक्कर के बाद ‘Tethys महासागर’ पूरी तरह से बंद हो गया और हिमालय के बनने की शुरुआत हुई।
इस टक्कर से Eurasian plate थोड़ा सा crumple हो गया यानि बिगड़ गया। जिस प्रकार कोई सपाट कागज़ का sheet दबाने पर बिदड़ जाता है। और मूड जाता है। अब क्यूकी दोनों ही plates की density काफी कम थी। इस लिए इनमें से कोई भी plate धरती के अंदर subdue नही हुई यानि उसके अंदर नही धंसी। जिसके कारण इन दोनों plates के टकराने वाले स्थान पर ज़मीन और मोटी हो गई। इसलिए यहां के ज़मीन की thickness continent में बाकी जगहों के मुक़ाबले 75 km ज्यादा है। इस कारण यहां पर volcanic activities बंद हो गई, क्यूकी इतने मोटे crust से गुज़र कर बाहर आने से पहले ही magma ठंडा हो कर सख़्त हो जाता है।
अभी भी Indian plate का Eurasian plate की ओर बढ़ना बंद नही हुआ है। तकनीकी भाषा मे कहे तो इसका अर्थ यह है कि अभी भी यह टक्कर रुकी नही है, चल ही रही है ; बस इसकी रफ्तार कम हुई है। इसी कारण Himalaya कि ऊँचाई अभी भी हर साल 1 cm प्रति वर्ष कि दर से बढ़ रही है; यानि Himalaya हर साल 1 cm और ऊँचा होता जा रहा है। क्यूकी अभी भी Indian plate उत्तर की ओर बढ़ना बंद नहीं हुआ है इस कारण कारण यहा के क्षेत्र मे भूकंप आम है।
इस घटना का जिससे Sub-continent का और Himalaya पर्वत शृंखला का जन्म हुआ, दुनिया पर गहरा असर पड़ा। यहां पर कई सारी नदियों का जन्म हुआ। विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी का निर्माण हुआ। Himalaya से निकली नदियाँ सिर्फ Sub-continent ही नही बल्कि दूसरे कई क्षेत्रों (जैसे Tibet और China ) तक पानी पहुँचाती है। इन नदियों मे से एक (सिंधु या Indus) के किनारे विश्व की सबसे पुरतम सभ्यताओं मे से एक कि शुरुआत हुई।
आज भी महाद्वीपों का चलना रुका नही है। असल मे इनका का गतिशील बने रहना ही किसी ग्रह को जीवित बनाता है। आज हमारी दुनिया जैसी दिख रही है करोड़ो साल पहले ऐसी नही थी और न ही आज से करोड़ो साल बाद ऐसी ही रहने वाली है। आप को क्या लगता है आज से करोड़ो साल बाद दुनिया कैसी दिखाई देगी? क्या फिर से धरती के सारे continents मिल कर एक बड़े Continent का निर्माण करेंगे; की यह continents टूट कर दूसरे और छोटे continents का निर्माण करेंगे। हमे comments मे जरूर बताए और बने रहिए Endiae Genius के साथ।