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हम मानव आज इस धरती पर दूसरे प्राणियों से आगे निकल पाए है, इसका एक बहुत बड़ा कारण यह है कि हम अपने शरीर के अतिरिक्त दूसरे ऊर्जा स्रोतों (sources) का उपयोग कर करना सीख गए है। इतिहास के ज्यादातर हिस्से में अपनी विभिन्न ज़रूरतों के लिए हमने दूसरे जानवरों कि ताकत पर निर्भर थे। पर हमने एक बड़ी छलांग तब लगाई जब हम दूसरे जानवरों के अलावा । ऊर्जा के अन्य स्त्रोतो को इस्तेमाल करना सीख पाए। यह सब शुरु हुआ है एक इंजन (engine) से। इंजन एक ऐसा यंत्र है जो प्रकृति में मौजूद किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा को मानव के उपयोगी ऊर्जा में बदल देता है। जिससे हम अपना काम कर सके।
यू तो कई प्रकार के इंजनों का हम उपयोग प्राचीन काल से ही करते आ रहे है। जैसे पवन चक्की (wind mill), याख़्ट (yacht), जल पहिया (water wheel) वग़ैरा-वगेरा। पर इन सभी मे एक दिक्कत है, कि हम इन्हें हर जगह और हर वक्त नही उपयोग नही कर सकते । उदाहरण के लिए - हम water wheel को रेगिस्तान में उपयोग नही कर सकते है जहा बहती हुई नादिया नही है, हम पवन चक्की का उपयोग उस वक्त नहीं कर सकते जब हवा नहीं चल रही हों। इसलिए हमें सदा एक ऐसे ऊर्जा स्रोत की तलाश थी, जो हमेशा इस्तेमाल किया जा सके; जो अभी तक के उपयोग में लिये जा रहे सभी तरीकों से ज्यादा भरोसेमंद (reliable) हो। हमारी यह तलाश हीट इंजन की खोज पर जा कर पूरी हुई।
हीट इंजन एक प्रकार का इंजन होता है। जहां इंजन एक व्यापक शब्द है, जिसका उपयोग हम हर उस चीज के लिए करते है जो किसी भी अन्य प्रकार की ऊर्जा को मानव के उपयोगी ऊर्जा में बदलती है। वही हीट इंजन एक खास प्रकार के इंजन को कहते है, जो ऊष्मा की ऊर्जा को उपयोगी ऊर्जा में बदलता है या दूसरे शब्दों में कहे तो यह एक ऐसी मशीन है जो ऊष्मा (heat energy) को कार्य (work) में बदलती है।
आप को ये मशीनें जिन्हें heat engine कहा जाता है, हर जगह मिलेंगी - आपके वाहनों (vehicles) में, बिजली-घरों में , और भी ऐसी जगह जहा आप सोच भी नही सकते। यहां तक कि हमारी धरती के वातावरण में चल रही गतिविधियों को भी heat engine के सिद्धांतों से समझाया जा सकता है। हमारी cells जिनसे हम बने है उन्हें भी heat engine कहा जा सकता है क्योंकि वे भी ऊष्मा को work में बदलते है। जिस प्रकार किसी गाड़ी के इंजन में पेट्रोल या डीजल के जलने से ऊष्मा बनती है। उसी प्रकार हमारे cells को यह ऊष्मा ATP से मिलती है। पर हम यहां इंजन को उसकी पारंपरिक व्याख्या में समझेंगे।
तो यह heat engine कैसे काम करता है? Heat engine thermodynamics के दो नियमों पे काम करता है।
पहला नियम- ऊर्जा न ही उत्पन्न हो सकती है और न ही नष्ट यह केवल एक रूप के दूसरे रूप में बदली जा सकती है।
Fig_1: Heat Engine
एक इंजन यही करता है वे ऊष्मा (जो कि ऊर्जा का ही एक रूप है ) को काम के योग्य ऊर्जा या work (जो ऊर्जा का ही एक अन्य रूप है) में बदलता है। यह Heat Engines कई प्रकार के आते है - जहां किसी गाड़ी में यह बहुत जटिल होता है, वही दूसरी ओर यह fig_2 की मशीन कि तरह साधारण भी हो सकते है।
Fig_2: Hero's steam engine
यह मशीन भी heat को work में बदलती है, इसमे और किसी गाड़ी या बिजली-घर में लगे engine मे बस दक्षता (efficiency) का फर्क है; बाकी ये सभी ही heat engine है। Hero’s steam engine मे ईंधन को इंजन के बाहर जलाया जाता है और इससे उत्पन्न गर्मी steam engine मे मौजूद पानी को भाप बना देती है जो इंजन के propellers से बाहर निकलती है और वे बाहर आते व्यक्त उस propeller पर force लगती है जिसके कारण वह घूमने लगता है।
किसी गाड़ी के इंजन मे यह प्रक्रिया दूसरे तरीके से होती है। वहा ईंधन एक बंद कक्ष मे जलता है (see fig_3) जिसे cylinder कहते है ; इस cylinder की एक दीवार movable होती है जिसे piston कहते है। जब ईंधन जलता है तो उससे उत्पन्न gases ऊष्मा की वजह से फैलने लगती है और वे piston को धक्का मारती है। फिर piston की इस चाल को हमारे वाहनों के पहियों को चलाने मे उपयोग किया जा है , अलग अलग प्रकार के mechanism के जरिए। Mechanisms भले ही अलग अलग हो पर सभी एक ही काम है - heat को work मे बदलना।
मगर Thermodynamics का पहला नियम पूरी तरह से इंजन के सभी पहलुओं को समझाने मे असमर्थ है ; क्योंकि पहला नियम केवल यह बताता है कि ऊर्जा के अलग-अलग रूपों के एक दूसरे मे बदल जा सकता है। पर किसी एक रूप से ऊर्जा को किसी अन्य रूप में किस हद तक बदल जा सकता है इस बात पर पहला नियम शांत है। उदाहरण के लिए - क्या पूरी heat जो हम इंजन को देते, वो पूरी की पूरी work में बदल जाती है या उसका कुछ हिस्सा ही वर्क के रूप में मिलता है ? इन सवालों का जवाब हमे thermodynamics का दूसरा नियम देता है।
दूसरा नियम - कोई भी इंजन जितना heat लेता है हमेशा उससे कम work हमे वापस करता है।
ऐसा किसी इंजन के बनावट मे खामी की वजह से नहीं होता है, बल्कि यह ब्रह्माण्ड का एक मूलभूत नियम (fundamental law) है। यानि की कोई भी इंजन चाहे वो कितना भी कारगर क्यूँ न हो, वे कभी भी शत-प्रतिशत कारगर नही हो सकता है ; यानि की हीट से work बनाने की प्रक्रिया मे कुछ न कुछ heat हमेशा ही बर्बाद होगा। पर हम बेहतर डिज़ाइन के जरिए इस बर्बादी को कम से कम करने की कोशिश कर सकते है । उदाहरण के लिए - Hero’s Steam Engine जितना ‘हीट’ लेता है उसका बहुत थोड़ा सा ही भाग यह ‘वर्क’ मे बादल पाता है। इसलिए आप इससे अपने वाहनों को नही चला सकते है। वही यदि आप किसी गाड़ी के इंजन को देखे तो वह अपने heat input के ज्यादातर हिस्से को work बे बदलने मे कारगर होते है। गाड़ियों मे यू तो कई प्रकार के engines हो सकते है पर मुख्य तह यह तीन प्रकार के इंजन उपयोग मे लाए जाते है - petrol engine या IC engine और diesel या CI engine ; Steam Turbines भी Heat Engines है जो मुख्यतः बिजली-घरों मे मे बिजली बनाने के काम मे आता है।
Heat engine को आप कोई एक यंत्र या machine मात्र ही न समझे ; इसे आप एक सिद्धांत के रूप में समझे। क्योंकि यह केवल हमारे वाहनों को ही नही चलाता है बल्कि समग्र ब्रह्मांड कि कई गतिविधियों का निर्धारण भी करता है, जैसे जीवन। आप सब बने रहे Endiae Genius के साथ, धन्यवाद !